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Showing posts from December, 2019

सफर

अक्सर खामोशियों मे लिपटी रातें गुजर जाती हैंं और दिन एक अजीब सी उधेड़बुन मे गुम हो जाता है जिन्दगी कोई जादू की छड़ी नहीं जिसे घुमा के तकदीरें बदल ली जाये पर जादूओं का अनवरत शिलशिला ये आँखें खुद मे समेटे अपनी ही कहानियां बुनती है न जाने कौन सी मंजिल पे आके रूकेगा ये सफर रास्तों के उधेड़बुन को ये जिंदगी अपनी सांसों मे रखती है