अक्सर खामोशियों मे लिपटी रातें गुजर जाती हैंं और दिन एक अजीब सी उधेड़बुन मे गुम हो जाता है जिन्दगी कोई जादू की छड़ी नहीं जिसे घुमा के तकदीरें बदल ली जाये पर जादूओं का अनवरत शिलशिला ये आँखें खुद मे समेटे अपनी ही कहानियां बुनती है न जाने कौन सी मंजिल पे आके रूकेगा ये सफर रास्तों के उधेड़बुन को ये जिंदगी अपनी सांसों मे रखती है