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Showing posts from September, 2020

तुम्हारे नाम की चिट्ठी

 कॉपी के पिछले पन्नों पे बहुत सारी चिट्ठी तुम्हारे नाम लिखी है सोचती हूँ उसे सादे पन्ने पे खूबसूरती से सजा के तुम्हारे पास भेज दूं तुम्हारे दरवाजे पे  बिना आहट किए उसे छोड़ आऊं बिना अपना पता डाले फिर न जाने क्यूँ ये डर लगता है कि तुम उन शब्दों में पिरोये प्यार को समझ नहीं पाओगे वो सारे उभार तुम्हारे लिए सिर्फ काले शब्द हुए तो?