वक्त







कोई वक्त कैसे मापे?
और क्या मायने ढूंढे
इस गुजरते वक्त में?
कुछ घंटों में कैद
हो जायेगा आज का दिन
क्या वो फिर कभी आजाद होगा?
जिस कल का इंतजार है मुझे 
वो हर घड़ी मेरी आंखों के
सामने बीत रहा है।
तो, कल में नया क्या होगा?
आज, कल की हटाई चादर 
से निकला है
और कल, आज की अंगड़ाई से निकलेगा
फिर, इस त्रिकोण में नया क्या है?
क्या है ऐसा
जिससे मैं रोज गुजर रही हूं
पर समझ नही रही?
और अगर समझ रही
तो वहा से क्यूं गुजर नहीं रही?

आपके नाम










Hey Mommy
मेरी प्यारी दुलारी, 
बहुत दिनों से आपसे कुछ कहना था, आपसे ये कहना था की आप जिस तरह पिछले ९ सालों में उभरी है वो तारीफ के काबिल है। आप जिस तरह से खुद को देखने लगी है, वो मुझे अच्छा लगने लगा है। इन ९ सालों में मैंने आपको बदलते हुए देखा है। जब मैं ये लिख रही हूं तो तस्वीर से वो साल मेरे आंखो के सामने से गुजर रहे हैं। मैने आपको देखा है मुझे पंख देते हुए, और मैंने ये भी देखा है की आपने सीखा है खुद को पंख देना भी। हम अच्छे दोस्त बने हैं, ना जाने कितनी बातों का सिलसिला है हमारे बीच। इससे इतर भी हमारी एक दुनिया है औरतों कि, जिसमे आप और हम एक जगह पे खड़े होते हैं। और वो बहुत खूबसूरत दुनिया है। मुझे बेहद पसंद है आपसे हमारे बारे में बाते करना। और एक खूबसूरत बात ये है की हम साथ बड़े हो रहे है इस दुनिया में।