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Showing posts from December, 2024

बेफिक्र

मेरे सपनों में तुम्हारा कोई रंग नहीं है तुम्हारे जैसी एक छाया है  जो  हू ब हू तुम्हारे जैसा है  सुबह की किरण कभी  मेरे सपने में पहुंची ही नहीं तुम्हें तौलने की बात ही  सिरे से ख़ारिज हो चुकी है तुम सपने में ही सही बेफिक्र घुमा करो।