एक व्यक्ति अपने बीवी और बच्चों के साथ गांव में रहते थे । एक छोटे से घर में उनकी पुरी दुनिया समाई हुई थी । गांव के बाकी लोगों के तरह ही ये भी खेती करते थे और अपनी जिंदगी खुशी खुशी गुजार रहे थे । फसल अच्छी हुई थी । साल भर का राशन जमा करने के बाद जो भी कुछ बचा था उसे बेचकर अच्छे पैसे आ गये थे । जिन्दगी में सबकुछ अच्छा चले ऐसा भगवान को मंजूर कहां होता है ॽ एक दिन अचानक उनके एक पुआल के ढेर में आग लग गई थोड़ी दिक्कत तो हुई पर आग पे काबू पा लिया गया । ये खबर भी आग की तरह पूरे गांव और उनके रिश्तेदारों तक पहुंच चुकी थी । और सब धिरे धिरे उनसे हाल पूछने आने लगे थे । सबके जबान पे एक ही सवाल होता आग कैसे लगीॽ ज्यादा कुछ नुकसान तो नहीं हुआ ॽ सब ठीक है ना ॽ लोगों के आने का शिलशिला बढते जा रहा था और उनके आवभगत के खर्चे भी । चाय नाश्ता तो रोजमर्रा की जिंदगी में एक आम बात बन चुकी है । इसी दरम्यान एक और व्यक्ति ने उनसे फीर पुछा आग क ईसे लगलव हो ॽ व्यक्ति ने जवाब दिया आग लगल त ना हल लेकिन धिरे धिरे अब लगीत हे ।