कहानियां



हर कापी के पिछले पन्नों पर
लिखी अनगिनत प्रेम कहानियां
अंकों और शब्दों के बीच
होते हुए अपना घर बनाती है
शांत मन से लिखी
और, उद्वेग मन से 
मिटाई हुई कहानियां
प्रेम भरे हृदय से सींची हुई
और, उधेड़ मन से काटि हुई कहानियां
नाम के शब्दों से जुड़ी
फुलों वाली कहानियां
बेनाम रिश्तों की
खूबशूरत कहानियां
पिछले पन्नों पर
आंखें मूंद सोती हुई कहानियां

तुम्हारी महक

 मेरे कपड़ों से आज भी

तुम्हारी महक आती है

मेरे कुर्ते के सिलवटों मे

फंसी तुम्हारी ऊंगलियां

एक खूबसूरत सा घर बनाती हैं

अपने दुप्पटे मे तुम्हारी सोंधी सांसे

बांध के लाई हूं

जिसे ओढ़ के अपने घर मे 

बिखेरा करती हूं

और वो खूशबू चुपके से

तुम्हारी आकृति बनाती हैं

मेरे कपड़ों से आज भी

तुम्हारी महक आती हैं