तुम्हारी महक

 मेरे कपड़ों से आज भी

तुम्हारी महक आती है

मेरे कुर्ते के सिलवटों मे

फंसी तुम्हारी ऊंगलियां

एक खूबसूरत सा घर बनाती हैं

अपने दुप्पटे मे तुम्हारी सोंधी सांसे

बांध के लाई हूं

जिसे ओढ़ के अपने घर मे 

बिखेरा करती हूं

और वो खूशबू चुपके से

तुम्हारी आकृति बनाती हैं

मेरे कपड़ों से आज भी

तुम्हारी महक आती हैं