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Showing posts from January, 2022

शून्य

  दिल में एक अजीब सी बेचैनी है एक घबराहट, नहीं, शायद डर नहीं नहीं शायद कुछ भूल रही  कुछ है पर पता नहीं क्या  दिन की चाल ठीक- ठाक है  रातों को ना जाने क्यों  नींद ना आने की बीमारी है  मेरे सिरहाने बैठ  उजाले को अपने बालों में कैद करके रखतीं हैं  अंधेरे को लगता है  वो मुझे डरा रहा है  पर उसे क्या पता  मैं उसके सानिध्य में  कितनी निखरती जा रही हूं  शून्य हूं पर पूर्ण हूं।

हम भारत के लोग प्यारे

  हम भारत के लोग प्यारे।  हम भारत के लोगों से शुरू  इस रचना में समेटे पूरा राष्ट्र है जिसकी नींव लोगों से रखी गई और राष्ट्र पर आके खत्म है। ये राष्ट्र क्या है? लोग क्या हैं? मूलभूत आधार क्या हैं? कर्तव्यों का मोल क्या है? खोले जिसने राज सारे  हम भारत के लोग प्यारे। खबरों में हम सुनते सब हैं सरकारों की माथापच्ची नियमों का ये घेराबंदी असल में ये सरकार क्या है? नियमों को बदलने के नियम क्या है? खोले जिसने राज सारे  हम भारत के लोग प्यारे। ये मेरा है वो तेरा है  इस मिट्ठी का फूल मेरा  उस बगिया का गुलसन तेरा  इन रेखाओं की नींव क्या है? मेरा तेरा मोल क्या है? खोले जिसने राज सारे हम भारत के लोग प्यारे।