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Showing posts from February, 2022

किरण

  कुछ किरणें अपनी मुट्ठी  में बांध ली है मैने  ताकि अंधेरा छाने पर  अपनी मुठ्ठी खोल  आगे का रास्ता देख सकूं  कभी कभी सोचती हूं इन किरणों के बिना  क्या हूं मैं? क्या मैं वही छोटी सी बच्ची हूं  जिसका बचपन मैं दोहरा रही हूं, या मैं खुद में सिमटी  थोड़ी सी उस बच्ची से मिलती_जुलती एक अलग बच्ची हूं?  बीते हुए कल की बच्ची  में और मुझमें  सिर्फ इतना ही फर्क है  की मेरे पास किरणें है।

याद

  अच्छा सुनो,  तुम्हे याद है, मैने तुमसे कहा था  मुझे चिट्ठियां लिखने का शौक हैं मैं आज तुम्हे लिखना चाहती हूं कि  तुम पे हल्के रंग के कपड़े जचते हैं  तुम जब हंसते हो तो अच्छे लगते हो  तुम्हारे भेजे गए एमोजि का मतलब समझने लगी हूं  मैं तुम्हे लिखना चाहती हूं कि  तुम्हारी अनकही बातो को सुनने लगी हूं  बस, ना समझने की नाकाम कोशिश करती हूं इस खत में मेरा सिर्फ एक सवाल है  अच्छा छोरो, जाने दो, नहीं पूछती  हां, सुनो  शादी के गीतों से मुझे तुम्हारी याद आती हैं