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Showing posts from April, 2024

वादा

तुम्हारी सारी यादें समेट  के रखने का वादा करती हूं  ठीक उस तरह जिस तरह नए घर में हर एक जगह  सामान सजा के रखा जाता है  तुम्हारे होने को सजा के  रखने का वादा करती हूं अपने अलमारी में रखे कपड़ों  की तह की तरह रसोई में रखे रंग बिरंगे डिब्बों की तरह पूजा घर में रखे दिया की तरह कमरे से आती खुशबू की तरह किताबों से आती भीनी सुगंध की तरह आम के पेड़ पे लगे मोजर की तरह