वस्तुतः
8 बजे
हर शाम की आखिरी मुलाकात
को 8 बजे के आखिरी सेकंड से
चुरा के अपने बस्ते में
छुपा लाई हूं।
वो वक्त वही रुका है,
उस रास्ते पे शाम ढलेगी
सुबह का सूरज निकलेगा
लोगों के जमावड़े होंगे
अनवरत बातों का सिलसिला होगा
पर अब घड़ी के सूई
8 तक नहीं पहुंचेगी।
Newer Posts
Older Posts
Home