8 बजे






हर शाम की आखिरी मुलाकात 
को 8 बजे के आखिरी सेकंड से 
चुरा के अपने बस्ते में 
छुपा लाई हूं।
वो वक्त वही रुका है, 
उस रास्ते पे शाम ढलेगी 
सुबह का सूरज निकलेगा
लोगों के जमावड़े होंगे
अनवरत बातों का सिलसिला होगा 
पर अब घड़ी के सूई 
8 तक नहीं पहुंचेगी। 

2 comments:

Legit Info said...

Just love your writting. Keep it up. Pehele gam hota tha ki 8 baje kyun par abb gam hai ki woh gam kyun nhi hai.

suruchi kumari said...

Exactly