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Showing posts from April, 2020

जिंदगी

हम कोई हाथों में फूल लिए पैदा नहीं हुये थे जो हमें सीर्फ खूशबू नसीब हो हमारे हाथों की ऊंगलियां एक दूसरे को कस के भींची जरूर थी जिन्दगी जीने के लिए अंकों का पहाड़ कभी चाहिये ही नहीं था जिसके पीछे पूरी जिंदगी भागे पता चला कि उसके पीछे तो जिंदगी कभी भागी ही नहीं हमेशा एक कतार में खड़े रहे कभी उससे आगे या हट के करने का क्यूँ नहीं सोचा? हमेशा कलम थामे इन हाथों ने जिदंगी को बड़ी बेदर्दी से अपने हाथों से सरकाया है

कुछ तो कहा होगा

ये बिखरी रातें चादर कि सिलवटें तुमसे कुछ कहे ना कहे सुबह की गुनगुनाती धूप ने कुछ तो कहा होगा ना? लोगों से भरे रास्ते शोर से भरा ये आसमां तुमसे कुछ कहे ना कहे उन शुनि गलियों ने कुछ तो कहा होगा ना? वो बाहों के दायरे आँखों का झुकना तुमसे कुछ कहे ना कहे रात की चाँदनी ने कुछ तो कहा होगा ना?