ये जो जिस्मानी बुखार उन्हें चढा़ है वो एक दिन उतर जायेगा। वो शरीर पर सरसराहट वाली ऊँगलियों का स्पर्श, और दूर से दिखते वो भूरे, लाल निशान ये सब ठहर जायेगा ये जो जिस्मानी बुखार उन्हें चढा़ है वो एक दिन उतर जायेगा। वो रोज-रोज की सिसकियाँ, बिस्तर मे मूँह छुपाये कुढ़ना, वस्त्रों का जमीं को चुमना ये सब ठहर जायेगा ये जो जिस्मानी बुखार उन्हें चढा़ है वो एक दिन उतर जायेगा। शाम होते-होते बत्तियों का बुझ जाना, जुगनू रातों में कपाट बंद हो जाना, बेअदब हो सबके सामने सीना तान चले आना, ये सब ठहर जायेगा ये जो जिस्मानी बुखार उन्हें चढा़ है वो एक दिन उतर जायेगा। बिना किसी बात पर आँखें तरेरना कलाईयों पर ऊंगलियों के निशान छोड़ना मृत्युशैया मे अर्धमृत्यु सा छोड़ जाना ये सब ठहर जायेगा ये जो जिस्मानी बुखार उन्हें चढा़ है वो एक दिन उतर जायेगा।