अच्छा सुनो




 अच्छा सुनो,

क्या सुबह की ठंडी हवा

तुम्हारे पास से भी हो कर 

गुजरती हुई अंदाज में अपने रात का हाल सुनाती है?

क्या आसमां के बिस्तर पर

चाँद और सूरज दो किनारे पकड़े

अपने दिल की बात बताते हैं?

क्या कभी तारों ने चमकीली चादर ओढ़ कर

चाँद को अपने आंचल से झांकने का कारण बताया है?

क्या कभी फूलों ने

भंवरों को रिझाने का राज बताया है?

अच्छा सुनो,

क्या प्रकृत ने श्रावण मे

साज-श्रंगार करके कभी दर्पन निहारा हैं?