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Showing posts from August, 2021

शून्य भाव

93,224 करोड़ कि रकम  छोटे, नन्हे हाथों से कालिख और  मैले निशाना हटा कर  उनपे खूबसूरत रंग संजोने कि कीमत है। तो हृदय इन भावों से शून्य क्यूँ? नगर पालों कि नियुक्ति गांव, शहर मे कराई गई है ताकि किसी का आंचल निगाहों से लग के चीर-चीर ना हो जाये  और, कहीं कन्धे से सरक कर दुप्पटा उनकी सूरत ना बदल दे। तो हृदय इन भावों से शून्य क्यूँ? 5 अलग-अलग मुल्कों ने पुरी पृथ्वी पर शांति कायम करने का दारोमदार संभाला है। फिर एक नन्ही सी बिलखती जान  वीरान सड़क पर क्यूँ? तो हृदय इन भावों से शून्य क्यूँ?

SHERSHAAH

 Shershaah, a movie based on the Kargil war of 1999, starring Sidharth Malhotra and Kiara Advani takes us to the old times. The portrayal of the movie is undoubtedly amazing.  The Kargil war was fought between India and Pakistan between May and June 1999 in the Kargil district of Kashmir and along the Line of control. During the war, the Indian army evicted Pakistani intruders and succeeded in recapturing Tiger hill and other posts as a part of Operation Vijay. The Indian soldiers had secured this victory after three months of conflict that led to a loss of lives from both sides with the Indian side losing nearly 490 officers, soldiers, and jawans. In order to commemorate India's win in the war, The Kargil Vijay diwas is celebrated every year on July 26. (Indian Express) The story is about the life of Captain Vikram Batra. His passion and love for the army. The man with a heart of gold, easy to blend with the people, and straightforward in nature. Dedication is in his blood ei...

आलु के पराठे

 अरे चाची आप क्या रही हो? मेरे रहते आपको कुछ भी करने कि जरूरत नहीं। सुधा ने किचन के दहलीज पर पाँव रखते हुए कहा। अरे दिन भर तो तुहि लगी रहती हैं, कभी अपनी चाची को भी कुछ कर लेने दे। सुधा- बिल्कुल नहीं, आप जाइये बैठिये ना, वैसे भी आपका सिरियल आने वाला है। अच्छा ठीक है, मै जा रही हूं। अरे, मै तो बताना ही भुल गई। आज प्रतीक के लिये आलु के पराठे बना देना वो कल से इसकी रट लगाये बैठा है। चाची ने किचन कि दहलीज पार करते हुए कहा। चाची आटा कहा रखा है? सुधा ने बरतन ताकते हुए पुछा। अरे वहीं देख लाल वाले डब्बे मे। हाँ मिल गई। चाची, आलु मे कितनी सिट्टी लगाऊं? आंच कम करके पाँच, छह सिट्टी लगा दे। और अगर कहीं कच्ची रह गई तो? तो एक-दो और लगा देना। आलु पुरा गल तो नहीं जायेगा? इतने सवालों के जवाब देने से बेहतर है मै खुद ही बना लूँ। चाची ने खीजते हुए कहा। ये क्या बात हुई चाची, मै तो बस पुछ हि रही हूं। अगर रोटियां अच्छी नहीं बनेंगी तो नवाबजादे तो घर सर पर उठा लेंगे। सुधा ने नाक सिकोड़ते हुए कहा। तु मेरे बेटे कि गलतियां निकाल रही हैं? चाची ने चीखते हुए कहा। अरे मै तो बस सच बोल रही हूं। सच! क्या है तेरा सच ज...

टेलीफोन

  घर में पहली बार कोई अजीब सी मशीन आई है। रंग काला, दो हिस्से है इसके, एक बड़ी सी आयताकार नुमा ढांचा है जिसपे 0 से 9 तक के अंक लिखे हुए हैं। बुश्शर्ट के जैसे बटन है, बस इनमें छेद नहीं है। दो और बटन है इसमे, वो क्या है, पता नहीं। बस 0 के अगल बगल लगे हैं। एक हिस्सा घुमावदार तार से होता हुआ दुसरे हिस्से से जुड़ा है। छोटे वाले हिस्से के दोनों छोर पर गोलाकार छेद बने हुए हैं। हाँ, और अंकों वाले ढांचे में एक और बटन है। जिसका काम बिल्कुल ढेकी की तरह है। उसका शीरा दबाने से वो बिल्कुल पीचटा हो जाता है और, छोड़ देने पर मुँह उठा कर खड़ा हो जाता है। एक और बात बताना तो भूल ही गए, इसकी लम्बी सी पूंछ भी है। बहुत लम्बी बिल्कुल हनुमान जी की तरह। इसकी खाश बात यह हैं कि, इसमें घंटी बजती है। स्कूल की घंटी से थोडी सी अलग है पर खुबसूरत हैं। छोटे पतले वाले हिस्से से आवाज भी आती है। जब मैने माँ से पुछा, ये आवाज कैसी है? तो उन्होंने बताया कि, इससे हम दुर बैठे लोगों से बात कर सकते है। मैने पुछा, क्या सब से बात कर सकते हैं? माँ ने कहा, हाँ वो अपनी भोपाल वाली बुआ से भी? हाँ। और कलकत्ते वाले चाचा से? हां भई हां मैन...