तुम्हारे पर्दे से टपकता खून
कभी तुम्हारा फर्श गंदा नहीं करता
वो किनारे से लग के
बूंद बूंद रिसता है
मुझे मालूम है कि
हर गुनाहगार की तरह
तुम्हे, तुम्हारे गुनाह मालूम है
पर तुम्हारा जिल्ल ए इलाही बन
सबकुछ रौंद जाना
दरवाजे पर लटके पर्दे पर
और खून उड़ेल देता है।
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