मुखमंडल पे चमक लिये,
रूदन का गीत सुनाई है ।
सबके जग मे खुशी बिखेरने,
देखो, मेरे घर लक्ष्मी आई है ।
पहला कदम रखा धरती पर,
बांझे सब की खील गई
बोल चाल के क्रम मे हि,
सब पे तुतली चढ़ गई ।
सरस्वती से विद्या का वर ले,
वेदों की गंगा बहाई है ।
करूण हृदय से लथपथ,
देखो, मेरे घर लक्ष्मी आई है ।
गृह मे सतरंग बिखेर,
सब के दिलो पे छाई है
एक चुटकी सिंदूर सजा के,
आज वो हुई पराई है ।
पुल सा बांधा है दोनो घरो को,
वही उमंग प्रचंडित है ।
सुख दुख मे गोते लगा,
वही तेज अखंडित है ।
बोया एक बीज है खुद मे
मुख दर्शन की बारी आई है ।
कोमल हृदय प्रफुल्लित चेहरा लिये
देखो, मेरे घर लक्ष्मी आई है ।
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