आज बादल चाँद के छुपावत नईखे,
काहे त ई रात ओरियात नईखे ।
सफेद चादर में ढकल बा पुरा रात,
पर मन के अमावस जात नईखे ।
पुरा के पुरा अन्न फेकल बा डिब्बा मे,
इहां जूठन भी डलात नईखे ।
हजारों दिप चमक रहल बा आसमान में,
फीर भी घर में उजाला आवत नईखे ।
चिंगारी देवे वाला के कमी नईखे,
अफसोस, कोई आग बुझावत नईखे ।
फटल कपड़ा मे देखनी ह मुस्कान लिपटल,
मन, लेकिन मानत नईखे ।
कुछ के ऊँच आसन भईल ह,
आ, कुछ लोगन के सोहात नईखे ।
भर के पईसा निकलल बाड़े बजार मे,
दिल, लेकिन खरीदात नईखे ।
हजार कीचड़ उछलल बा जिस्म पे,
पर आत्मा केहूसे छुआत नईखे ।
बड़ा खुबसुरत रचना बा भगवान के,
काहे त ई रात ओरियात नईखे ।
सफेद चादर में ढकल बा पुरा रात,
पर मन के अमावस जात नईखे ।
पुरा के पुरा अन्न फेकल बा डिब्बा मे,
इहां जूठन भी डलात नईखे ।
हजारों दिप चमक रहल बा आसमान में,
फीर भी घर में उजाला आवत नईखे ।
चिंगारी देवे वाला के कमी नईखे,
अफसोस, कोई आग बुझावत नईखे ।
फटल कपड़ा मे देखनी ह मुस्कान लिपटल,
मन, लेकिन मानत नईखे ।
कुछ के ऊँच आसन भईल ह,
आ, कुछ लोगन के सोहात नईखे ।
भर के पईसा निकलल बाड़े बजार मे,
दिल, लेकिन खरीदात नईखे ।
हजार कीचड़ उछलल बा जिस्म पे,
पर आत्मा केहूसे छुआत नईखे ।
बड़ा खुबसुरत रचना बा भगवान के,
2 comments:
बहुत सुंदर
धन्यवाद
Post a Comment