अटल



आशाओं से ओतप्रोत,
दिल में स्वदेश का प्रेम  उफल है,
वही अटल है ।

मन में न कभी है क्रोध,
न है द्वेष की भावना,
दिल में प्रेम सागर लिये
बूंद बूंद जो बाँट रहा है,
वही अटल है ।

दोस्त,  मित्र, गुरूवर सा व्यक्तित्व
शब्दों सा निश्चल चरित्र,
बूंद बूंद से रेतो को जो
सिंच, उपवन बना रहा है,
वही अटल है ।

ना डर के कदम छिपाए जो,
डट कर हर मुश्किल से लड़ जाए जो,
विपत्तियों मे बिना विवेक खोये
जो शिखर सा तना हुआ है,
वही अटल है ।

3 comments:

Unknown said...

Awesome lines

Unknown said...

बहुत सुन्दर रचना

suruchi kumari said...

धन्यवाद