दिल हारना क्या होता है




महाराज ने कनीज़ से पुछा
आपको जितना कैसा लगता है ॽ
कनीज़ ने कहा
अच्छा लगता है हुजूर
जीत तो वो गहना है
जो शान से पहना जाता है
मुख मण्डल पे प्रकाशित किरणे
खुद हि अपना गुणगान करती है
पैर इतने हल्के हो जाते है
मानो पंख लगाके उड चलेगें
बडी मुश्किल से उन्हे
जमीनी जुते पहनाने पडते है
तन का हर रोम थिरकने लगता है
एक ताल छुटा नही कि
वो खुद को बेडियो से तोडने
को बेताब हो जाते है
आँखों में मानो न जाने कितने
रत्न जड़ होते हैं
अंधेरे को तोड़ ज्वालाओं का
अम्बार होता है
इतना सब कुछ जीतने
के बाद भी हमें वो
खुशी अभी तक नहीं मिली
क्योंकि हम अपना दिल हारना चाहते है ।
महाराज ने पूछा दिल हारना क्या होता है ॽ

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