आँखें






आपको आँखें पढ़ना नही आता
आता, तो न ये सवाल होते
ना मेरे होठों पे जवाब के शब्द
आपको तो शक्ल भी पढ़ना नही आता
अगर आता,
तो ना ये गलतफहमीयों का
शिलशिला होता
न मेरी आँखें सच बताने
पे मजबूर होती
सारी बातें अगर कह देनी हि थी
तो वो हल्की मुस्कान, चमकीली आंखों
ने मुझ धोखा दिया है
मै न जाने क्या क्या पढ़ गई
और आप चांद देख के भी
बादलो मे खोने का ढोंग कर गये