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Showing posts from January, 2020

प्रेम

जब नींद सजे तुम्हारे आँखों में मेरे कंधे पे सर रख सो जाना मै शांत समुद्र बनु धरती कि तुम सूर्य उदय हो मुस्काना थक जाये तुम्हारी आँखें जब मेरी जूल्फो तले तुम रूक जाना बंजर जमीं बनूं मै धरा पे बूंदें बन तुम बरस जाना दिल जो बातें कह न सका शब्द बन तुम सब कह जाना फूल बनूं मै तुम्हारे बगिया कि खूशबू बन मुझमे खो जाना

खामोशी

कभी कभी निःशब्द होना खामोश होना कितना अच्छा होता है सबकुछ जान के भी अनजान बनना सब समझते हुए भी बेवकूफ बनना आँखों के सामने के कोतुहल को गले के निचे सरका लेना मन मे उठ रही हजारों तरंगों को एक हल्की मुस्कान से दबा देना कितना अच्छा होता है क्योंकि खामोशी कि चीख शब्दों से कहीं ज्यादा होती हैं

बारिश

।                              Image Google  आज शहर में जोर कि बारिश आई और हुआ यूं कि मेरे घर की खिड़कियां खुली रह गई बारिश के बूंदों के साथ साथ हवाओं ने कुछ पत्ते भी मेरे घर में बिखेर दिये थोडी सी धूल पे पड़ी पानी की बूंदें आकृतियां बनाये मेरा इंतजार कर रही थी उन्हें कुछ बताने की धुन सवार हो जैसे वो पत्ते, धूल, पानी की बूंदें सब कह गये जो मैं बरसों से खुद को भी ना कह पाई

तारीख

वो सुर्ख सी रातें वो लबों पे आके रूकीं उनकी अनकही बातें उनके आँखों की चमक उनके होठों की मुस्कुराहटें मेरे दिल के दरवाजे पे उनके यादों का अनवरत सिलसिला चाँदनी भरी रात में सितारों का काफिला कुछ नहीं बदला तारीखों ने बस थोड़ी सी अदला बदली कि है