प्रेम



जब नींद सजे तुम्हारे आँखों में
मेरे कंधे पे सर रख सो जाना
मै शांत समुद्र बनु धरती कि
तुम सूर्य उदय हो मुस्काना
थक जाये तुम्हारी आँखें जब
मेरी जूल्फो तले तुम रूक जाना
बंजर जमीं बनूं मै धरा पे
बूंदें बन तुम बरस जाना
दिल जो बातें कह न सका
शब्द बन तुम सब कह जाना
फूल बनूं मै तुम्हारे बगिया कि
खूशबू बन मुझमे खो जाना

खामोशी




कभी कभी निःशब्द होना
खामोश होना
कितना अच्छा होता है
सबकुछ जान के भी
अनजान बनना
सब समझते हुए भी
बेवकूफ बनना
आँखों के सामने के
कोतुहल को
गले के निचे
सरका लेना
मन मे उठ रही
हजारों तरंगों को
एक हल्की मुस्कान
से दबा देना
कितना अच्छा होता है
क्योंकि खामोशी कि चीख
शब्दों से कहीं ज्यादा होती हैं

बारिश

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आज शहर में जोर कि बारिश आई
और हुआ यूं कि
मेरे घर की खिड़कियां खुली रह गई
बारिश के बूंदों के साथ साथ
हवाओं ने कुछ पत्ते भी
मेरे घर में बिखेर दिये
थोडी सी धूल पे पड़ी
पानी की बूंदें
आकृतियां बनाये
मेरा इंतजार कर रही थी
उन्हें कुछ बताने की धुन सवार हो जैसे
वो पत्ते, धूल, पानी की बूंदें
सब कह गये
जो मैं बरसों से
खुद को भी ना कह पाई

तारीख



वो सुर्ख सी रातें
वो लबों पे आके रूकीं
उनकी अनकही बातें
उनके आँखों की चमक
उनके होठों की मुस्कुराहटें
मेरे दिल के दरवाजे पे
उनके यादों का
अनवरत सिलसिला
चाँदनी भरी रात में
सितारों का काफिला
कुछ नहीं बदला
तारीखों ने बस
थोड़ी सी अदला बदली कि है