खामोशी




कभी कभी निःशब्द होना
खामोश होना
कितना अच्छा होता है
सबकुछ जान के भी
अनजान बनना
सब समझते हुए भी
बेवकूफ बनना
आँखों के सामने के
कोतुहल को
गले के निचे
सरका लेना
मन मे उठ रही
हजारों तरंगों को
एक हल्की मुस्कान
से दबा देना
कितना अच्छा होता है
क्योंकि खामोशी कि चीख
शब्दों से कहीं ज्यादा होती हैं

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