तुम कभी सिरहाने बैठो
तो मै बताऊँ
कि कितनी तरंगें हैं जो
मेरे दिल मे हर रोज
एक कोने से दुसरे कोने
तुम्हें देखते ही दौड़ना शुरू करती है
तुम कभी सिरहाने बैठो
तो मै बताऊँ
कि तुम्हारा मेरे सामने आना
शायद कोई जादू सा होता है
वक्त जैसे थम सा जाता है
वो सारे पल आँखों में कैद
खुद को न जाने कितनी बार दोहराते हैं
तुम कभी सिरहाने बैठो
तो मै बताऊँ
कि मैं तुम्हारी आँखें पढ़ना सीख रही हूं
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