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आसमांं मे काले बादल है आज
जरूर सूरज ने एक कश़ लिया होगा
बूंदें नहला रही हैं पेडो़ के बदन को
जरुर इंद्र ने जाम छिड़का होगा
आते जाते मगरूर हवाओं ने
नदियों को स्पर्श किया होगा
कोलाहल के साथ सिर्फ एक आवाज निकली
बडी़ रेशमी झुल्फें हैं इनकी
जरूर हिम ने इनका दामन छुआ होगा
सूरज को जल्दी है किनारे पे पहुंचने की
पर धरा ने उनका रास्ता रोक रखा है
बडी़ उमस है दिन मे
जरूर ये उस बेबसी का नतीजा होगा
जगमग है पूरा आसमां दीपों सा
जरूर तारों ने खुद को जलाया होगा
बाहें फैलाये खडे़ हैं पर्वत कब से
शायद उन्हें भी किसी का इन्तजार होगा

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