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एक खत़ जिंदगी के नाम

 प्रिय, Dear क्या लिखूं कुछ समझ नहीं आ रहा। सोचा दोस्त के नाते ही लिख दूँ।

अपने बारे मे क्या लिखूं वो सब तो तुम्हें पता ही है। 

तुमसे शिकायतें ज्यादा है, डरो मत, उतनी भी ज्यादा 

नहीं। हाँ, तो मै ये कह रही थी कि तुम कभी दस्तक देके

 क्यूँ नहीं आते। अब बता के आओगे तो मै भी पहले से 

तैयार रहूंगी ना? याद है, पिछली बार मै कैसे अपने 

कमरे मे बिखरे बाल समेटे, बिना काजल वाली आँखों

से खिड़की के बाहर देख रही थी कि, तभी तुम, खुशी के

साथ आये थे।  
ऐसा नहीं है कि मै खुश नहीं हुई, पर मुझे

 पता होता तो मै थोड़ी तौयार रहती ना। पर तुम्हें मेरा

 सजना संवरना अच्छा कहा लगता है? तुम कभी बताते

 भी  तो नहीं कि मै तुम्हें कैसी लगती हूं?

अच्छा सुनों कभी चाय पियोगे मेरे साथ? तुम्हारे जवाब

 का इन्तजार रहेगा।

S


Comments

Unknown said…
Yes !...piungi. ......milte h bahut jld
suruchi kumari said…
Please log in मुझे पहचानने में आसानी होगी
suruchi kumari said…
Login kare taki mai aapko pahchan saku

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