एक अजीब सी कडवाहट थी
हर निवाले के साथ
गले मे कुछ फसता
सा चला जाता था
मुंह का स्वाद अब
चेहरे पर दिखने लगा था
मन हुआ कि उसे
पास कि नाली मे
जाके उडेल दूँ
पर कदमों ने हामी नहीं भरी
रसोई में जाके देखा
तवे खुद ही जल रहे थे
बहुत देर चुल्हे तकने के बाद
ये सोचा है कि
कल से रोटियों के साथ
प्यार सेका करूंंगी।
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