संजो के वो ख्वाब लाई थी
बहुत ही हल्के से ख्वाब,
हवाऐं अगर उन्हें छूं ले
तो वो आंचल छोड़
कहीं उड़ जायेगें
इस डर से
हर रात सोने से पहले वो
उन्हें गिना करती थी
कुछ दिन पहले की ही बात है
उसके दो ख्वाब
आंसुओं के समंदर में खो गये
और एक चुल्हे मे जल गये
वो उन्हें जितना ढूढ़ती गई
उतना ही टूटती गई
अब वो उन ख्वाबों को
अपने पैरों में बांध के
घूमती है।
1 comment:
Bahut km shabdo bahut kuch btaya aapne badhiya🙌👌
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