ओढा था उससे जि
भर गया है
सोचती हूँ कुछ चमकीला पहनूं
लोगो कि आँखें टिके जिस पे
सादे कपड़ों को छांट
के एक कोनें मे सरका दिया है
बडी़ फीकी-.फीकी लगती है
रंगों वाले कपड़ों कि पोटली
भी बांध रखी है
जब जी करे
रंगीनी ओढ़ लिया करुंगी
सब नया होने के बाद भी
अन्दर कुछ पुराना
रह गया है।
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