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बहुत दूर, कितना दूर होता है

मानव कौल 
पहली बार मैने इन्हें तुम्हारी सुलु मे देखा, दुसरी बार Music Teacher मे तिसरी बार किताब के पिछले हिस्से में और चौथी बार इंस्टाग्राम पे, जहां से मैने ये तस्वीर चुराई है जिसकी मुझे खुशी बहुत ज्यादा हैं। 

बहुत दुर, कितना दुर होता है 
 ये इनकी चौथी किताब है। इन्होंने इस किताब मे वो सबकुछ लिखा है जो मै अपने डायरी मे भी लिखने से डरती हूं। 
बचपन कि बातें आगे जाके कितनी सच होती है इसके बारे मे तो नहीं पता पर ख्वाब देखना गलत नहीं है। ख्वाब देखेंगे नहीं तो वो पुरे कैसे होंगे?
जो बातें मै हमेशा सोच के चुप रहती थी, उन सबको पन्नों ने एक आवाज दे दी। भीड मे अकेलापन ढूढ़ना या अकेले मे अकेलापन ढूंढना ये सनकी हुई बातें लग सकती है पर ये है बहुत खूबसूरत। 

इंसान खोखला होता है या वो बंधना नहीं चाहता

इंसान दोनो स्वरूपों मे मिलता है। एक तरफ वो सोचता कुछ है और कहता कुछ है। इसलिए नहीं कि उसके व्यवहार दो धारी है बल्कि इसलिए कि वो बंधना नहीं चाहता। कई बार हर बात कह देना हमे ज्यादा कमजोर करता है। जरूरी नहीं हर विचार को अल्फाज मिले। कुछ आंखों तक आके रूक जाये तो अच्छा। 
अगर भावनाओं का सच जानना है तो energy का दरवाजा खटखटाना चाहिए क्योंकि वो कभी झूठ नहीं बोलते।


क्या समय के साथ बह जाना ही सही है
लेखक खुद एक जगह कुछ दिन रूकना चाहते थे पर वो रूके नहीं उन्होंने जो कारण दिया वो बिल्कुल सटीक है पर आजमाने चले तो थोड़ा अटपटा लगे। शहर के एक कोने से दूसरे कोने तक कौफी, crrosiant और कहानियों  का सफर बहुत ही खुबसूरत रहा। 





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