अंधेरी रात में
तारों की चादर ओढे
आंसमा के एक छोर से
दुसरे छोर को बेवजह ढूंढने
की कोशिश करते हुए
हवाओं को देखने की
लालसा लिये
उनके अतरंगी से रंग
उभारते हुए
उनकी ही गुदगुदी मे
खो जाने की एक ख्वाहिश लिए
चल रे मन कहीं दूर चलते हैं
अंधेरी रात में
तारों की चादर ओढे
आंसमा के एक छोर से
दुसरे छोर को बेवजह ढूंढने
की कोशिश करते हुए
हवाओं को देखने की
लालसा लिये
उनके अतरंगी से रंग
उभारते हुए
उनकी ही गुदगुदी मे
खो जाने की एक ख्वाहिश लिए
चल रे मन कहीं दूर चलते हैं
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