अपनी जवानी धूप मे
सिंच के उसने दो बच्चे गढ़े
अपने चेहरे कि कोमलता
चुल्हे के धुएं मे उड़ा
उसने दो बच्चे गढ़े
मुलायम, मखमली हाथों
कि सुंदरता
राख मे घोल के
बर्तन के साथ धो दिये
अपने कुम्हलाए से
ख्वाब को
कुचल के
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