उम्मीद

 हर रोज मेरी सांसों पे

अपनी हुकुमत दिखाने से

बेहतर होता

मेरी सांसें रोक देना

पानी भी जब शरीर पे

पड़ता है तो वह रास्ता बनाके

निकल जाता हैं

पर इन कटाक्ष का ना कोई

रास्ता है ना ही सहारा

अंधेर मे सांसें जाने से

बेहतर है ये जिंदगी 

एक उम्मीद का टूकड़ा ढूढें


No comments: