सूरज और धरती




सूरज और धरती के रिस्ते मे

फासले बहुत है

इसका यह मतलब नहीं कि

सूरज धरती को देखना 

बन्द कर देता है

या उसे देख गुस्से से

मूहं फुला लेता है

चांद को उसके आगे-पीछे देख के

वो कुंठित नहीं है और

ना ही वो इस बात पे ख़फा है

वो जानता है

धरती उसका सर्व है 

पर वो उसे पाना नहीं चाहता।


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