हमारे हिस्से का चाँद



वो अपनी खिडक़ी से आंसमा पे आँखें टिकाए
अपने हिस्से का चाँद तकता है
और मैं अपने हिस्से का चाँद निहारती हूं।
वो सोते हुए आसमान मे तारों के
दिये जलाता है
मै अलसाई आसमान पर
बादलों का कम्बल डालती हूं।

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