पथिक

 छोड़ पुरानी गलियां, कुचे

और अपना व्यवहार

चल पथिक तु नये डगर की ओर।

तोड़ दे वो काली इमारतें

धुआं से जो नभ निगलते

सजा के घर, आंगन, संसार

चल पथिक तु नये डगर की ओर।

अंधेरे को पीछे छोड़,

मुड़ नए सवेरे की ओर

चल पथिक तु नये डगर की ओर।

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