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गलतफहमी

 



मैं जितना उसके करीब जाने की

कोशिश करती हूं, 

वो अपनी बातो से उतना ही मुझे 

दूर करता जाता है। 

मैं उसके दरवाजे पे खड़ी

दस्तक देती हूं,

वो मेरे मुंह पर दरवाजा बंद कर के चला जाता है ।

मैं खिड़कियों से सरक कर उसके 

आंगन से चांद देखना चाहती हूं।

वो छत पर बैठ के अमावस का इंतजार करता है।

ना मैने गलती की है अपने बातों को रख के 

ना उसने ठीक ढंग से सच रखा है 

गलतफहमी का सिलसिला कुछ ऐसा चला है कि,

दर्द देने में ना मैने कमी की है ना उसने। 








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