एकांत

 



हम जब भी मिले, लोगों से घिरे मिले

पर, आज सन्नाटा और अथाह वक्त का सागर 

अचानक से आज मिलों की दूरियां

सिमट के कुछ कदमों तक आ गई हैं।

खिड़कियों से आती हवाओं ने

उनके बालों को चहरे पर लटका दिया है,

और उनके पास से आ रहे खुशबू से

सारा कमरा महक रहा है।

घड़ी की टिक-टिक 

दिल की धड़कनों से ताल मिलाते हुए 

कदमताल कर रही हैं।

कमरा धीरे-धीरे फूलों के 

बागीचे जैसा महसूस हो रहा है।

हम पहली बार एकांत में मिल रहे है।




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