एक चाय की प्याली
और, रंगीन बोतल
से सजे दोनो हाथ,
वो लगातार घूम रही हैं।
६ मीटर को वो लपेटे है या,
सिमटी है वो उस दायरे में
यह कहना मुश्किल है।
कभी हंस भी देती है।
सुबह से शाम और
शाम से रात तक
उसके पैर घर के
हर एक कमरे के फर्श को
चूम कर निकल जाते हैं।
तपती दुपहरी में कमरे का
बिस्तर उसको अपने वश में करना चाहता है,
पर वो बस एक झपकी के बाद
उसे रात तक अलविदा कह,
दरवाजे से बाहर निकल जाती है।
वह हर रोज आग से खेलती है,
अपने आंचल से पसीने हटाती है
फिर, कभी हंस भी देती है।
4 comments:
❤️
Wah.....👍❣️
☺️☺️
Thank you ☺️
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