हुआ करते हैं।
सपने एक उम्मीद की तरह
होते हैं
जिसके सहारे हम अपनी
पुरी ज़िंदगी गुजारने के
ख्वाब संजोते हैं।
उसे अपने मन की खिड़कियों
से झांकते देख,
आंखो के दरवाजे से पास बुला के
एक अदृश्य चित्रकला में
रंग भर के उसे जीवित करते हैं।
पर, सपने अगर किसी और
के हाथ से बंधे हो तो
वो हमे अपंग बनाते है।
या, यूं कहूं कि,
अपंगता की चरम सीमा पर
पहुंचा देते हैं
तो शायद मैं गलत नहीं हूं।
इसे दूर करने का एक उपाय है
खुद से दोस्ती और थोड़ी सी
इश्क की बारिश।
1 comment:
I agree with u..🤞
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