औरत

 औरत सिर्फ एक औरत होती है

वो ना हिन्दू है, ना मुसलमान 

ना सिख, ना ईसाई

वो बस एक औरत है।

कपड़ो में लिपटी, खुद को सहेजती

अजनबी आंखों से छुपती-छुपाती औरत। 

उसे सब एक ही नजरों से देखते है 

हवस कि।

औरतें धर्मों के नाम पे आजमाई नहीं गई।

बस धर्म के चोला पहने 

चील, काऊवो से नोची गई।


( Context of  partition)