वो नये जोड़े में है।
पर, उसके जोड़े का रंग
लाल नहीं है।
बहुत रंगीन है उसका पोशाक
गुलाबी, नीला, हरा, पीला
इन सबों से उसका आँचल सजा है।
उसके लहँगे के नीचे
पीले और सफेद गोटे जड़े है
जिनमे एक खनक है।
वो कमरे में बैठे,
अपने आदमी का इंतजार कर रही है।
न जाने क्या- क्या सोच
कभी खुद हँसती है,
कभी शर्माती, तो कभी
खुद में ही सिमटते जा रही है।
दरवाजे पर पड़ा एक दस्तक
उसके दिल के तार पर एक कंपन करता है।
और, वो और सिमटती है।
उसका आदमी उसे देख रहा है
पर, वो उसे नही देख रही।
वो बस ठिठक के बिस्तर में पड़ी है।
एक आलिंगन की आस से वो
अपने आदमी को आँखें उठा के देखती है।
उसका आदमी उसके पोशाक को निहार रहा है।
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