सुननी ह की

सुननी ह की बड़ा ताकत बा

औरत में आ, उनकर व्रत करे में।

मरतो आदमी के जिया देली

संतान खातिर कुछो करेके

तैयार हो जाली। 

साल भर में ना जाने केतना 

इतवार, मंगर आ बिफे सहिहे।

आ तीज, जितिया त महान परब बड़ले बा। 

भारा भखिहे दुनिया भर के 

आ पूरा करिहे दिल से। 

मांग में बड़का सेंदुर करिहें

सईया के लम्हर जीनगी इनके त करेकेे बा। 

सब बात त समझ में आवेला

एके चिजिया ना बुझाए 

जब पीटालि सईया से त सहली काहे? 

जब लइकन चढ़ला माथा पे त रोवली काहे? 

शक्तिया ऊ घरी छीन हो जाला का?