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Showing posts from December, 2022

डर

मुझे डर है, मैं गुम होने वाली हूं।  मुझे डर है, मैं इस तेजी से भागती दुनिया में  पीछे छूट जाने वाली हूं।  आसमान में सिर्फ एक  तारा बचा है, जिसकी रौशनी अब खत्म होने वाली है  मुझे डर है, उस रौशनी से प्रकाशमान  मेरे सपने मरने वाले है  मैं डूबने वाली हूं गहरे अंधकार में। 

फर्क

जो अपनी नाकाबिलियों की वजह से रिश्तों में अकेले छोड़े गए है, उन्हें मैं यह कहना चाहती हूं कि, आप सब उतने ही काबिल है जितने आप के संबंध के उस पार खड़े लोग। बस फर्क इतना है कि वो सो के जाग रहे हैं और हम जाग के भी सो रहे हैं।

जिम्मेदारियां

 घर का दायरा थोड़ा बड़ा  हो गया जब मैने  मां की जिम्मेदारियां संभाली।  वैसे तो रसोई में देखें तो बर्तन, चूल्हा, रंग-बिरंगे डिब्बे और एक दूसरे से ऊंचाई की होड़ में सजी बड़ी बाल्टियां ही दिखती हैं,  पर इन-सबों में एक जादू होता है , जो पकवान के रूप में रसोई  के दरवाजे से थालियों में सजी लोगों का अभिनंदन स्वीकार  करती आती हैं।  मां की जिम्मेदारियां बहुत बड़ी दिखी  तब-तक, जब-तक मैं उसे दूर से  निहारती रही।  जब कोशिश कि अपने पापा की जिम्मेदारियां उठाने की तो अपने आपको असमर्थ पाया।