घर का दायरा थोड़ा बड़ा
हो गया जब मैने
मां की जिम्मेदारियां संभाली।
वैसे तो रसोई में देखें
तो बर्तन, चूल्हा, रंग-बिरंगे डिब्बे
और एक दूसरे से ऊंचाई
की होड़ में सजी बड़ी बाल्टियां
ही दिखती हैं,
पर इन-सबों में एक जादू होता है ,
जो पकवान के रूप में रसोई
के दरवाजे से थालियों में सजी
लोगों का अभिनंदन स्वीकार
करती आती हैं।
मां की जिम्मेदारियां बहुत बड़ी दिखी
तब-तक, जब-तक मैं उसे दूर से
निहारती रही।
जब कोशिश कि अपने पापा की जिम्मेदारियां उठाने की
तो अपने आपको असमर्थ पाया।
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