कर रही हो?
घने अंधेरे में किस
रौशनी की तलाश कर रही हो?
ऐसा क्या खो दिया है
जो ढूंढ रही हो तुम?
कौन से सुनहरे वक्त का
इंतजार है तुम्हे?
ज़िंदगी के किस मुकाम
पे पहुंच कर
खुश रहना चाहती हो?
वक्त के कांटो से होते हुए
जिस जिंदगी से तुम भाग रही हो,
असल में ये जिंदगी ही
तो तुम जी रही हो।
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