तुम या मैं



                                                                          Picture @anand_aadarsh


जिंदगी के इस सफर में
चलते-चलते, जब हाथ 
तुम्हारा अचानक छूट जाता है
तो, इस अंधेरे में तुम हो या मैं हूं।

फूलों से महका था पूरा घर
रोशनी से जग-मग था आंगन
शाम ढले, बैंड-बाजे के साथ 
बाहर खड़ी कार में 
मैंने अपने ही बच्चे को नहीं छुआ 
तो, इस शांत शोर में 
तुम थे या मैं थी।

अपनी बालकनी में खड़ा 
मैं उसके दरवाजे तकता हूं
दरवाजे से चिपका ताला
और नीचे बिखरे बंद लिफाफों के
नीले स्याह से निकल के 
उभरते भावनाओं में 
तुम हो या मैं हूं।

No comments: