अपने आस पास सब कुछ
चमकता हुआ देख रही हूं।
मुस्कुराते हुए चेहरे,
सड़कों पे टहलते लोग,
पास के प्लेग्राउंड में खेलते लड़के
जो हर चौके पे चिल्लाते हैं।
अपने किस्से और कहानियों का
सिलसिला लेके,
बन संवर के बाजार जाती लड़किया।
रोड पे फर्राटेदार चलती मोटर साइकिल,
लाल होता हुआ आसमान
और उसी आसमान पे आधा चांद
मैं सब देख रही हूं
पर मैं खुद को नहीं देख रही।
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