तितली





एक तितली के पास 
बड़े खूबसूरत पंख हैं।
चटकीले रंगों वाली पंख,
वो एक बार अपना पंख फैलाए 
तो दूर तक उड़ सकती है 
पर, हर रोज वो खिड़की के पास
आके रुक जाती है।
ना खिड़की से बाहर जाती है
ना दरवाजे से अपने पैर 
बाहर निकालती है।
वो कमरे के दरवाजे पे देखती है
अपने बच्चे, 
कमरे के एक कोने में उसे 
कामों का ढेर दिखता है।
कमरे के दूसरे कोने में 
उसके ख्वाब जलते है।
और, छज्जे से टंगी 
इच्छाओं की लाश 
से खून टपकता है।

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